Jis Krus Par Yeshu Mara Tha
जिस क्रूस पर यीशु मरा था
उस क्रूस पर जब मैं धियानता हूँ
संसारी लोभ को छोटा सा
और जस को अपजस मानता हूँ।
मत फूल जा मेरे मन निर्बुद्ध,
इस लोक के सुख और सम्पती पर,
तू रख्रीष्ट के मरण की कर सुध,
और उस पर सारी आशा धर।
देख के उसके सिर, हाथ, पांव के घाव
यह कैसा दुःख और कैसा प्यार।
अनूठा है यह प्रेम स्वभाव,
अनूप यह जग का तारणहार।
जो तीनों लोक दे सकता मैं
इस प्रेम के जोग यह होता क्यों ?
हे यीशु प्रेमी आप के तई
मैं देह और प्राण चढ़ाता हूँ।