Christmas Song Insaan Ka Usne Roop Liya


कोरस :- इन्सान का उस ने रूप लिया, 

खुद ख़ालिक आया चरनी में, 

वह लामहदूद कलाम-अल्लाह, 

बन तिफल समाया चरनी में।


ली उसने शक्ल हमारी थी, 

बन आजिज़ उम्र गुज़ारी थी, 

यह सबक सिखाया चरनी में।


कुल जंगल नूर-ओ-नूर हुआ 

जुल्मत का पर्दा दूर हुआ, 

जब कदम टिकाया चरनी में।


न रहने को ही मकान मिला। 

बिस्तर का न आराम मिला, 

आ घास बिछाया चरनी में।


हुआ रौशन एक सितारा था, 

कुल आलम में आशकारा था, 

अब शाफी आया चरनी में।


और बिगड़ी बात बनाने को, 

इसीयां के ज़ख्म मिटाने को, 

वह मरहम लाया चरनी में।


खुशियाँ मना और हर एक को यह ख़बर सुना, 

फिदिए के लिए फरज़न्द-ए-खुदा,

 मरियम से जाया चरनी में।