Christmas Song Insaan Ka Usne Roop Liya
कोरस :- इन्सान का उस ने रूप लिया,
खुद ख़ालिक आया चरनी में,
वह लामहदूद कलाम-अल्लाह,
बन तिफल समाया चरनी में।
वह वारी जात न्यारी थी,
ली उसने शक्ल हमारी थी,
बन आजिज़ उम्र गुज़ारी थी,
यह सबक सिखाया चरनी में।
उस रात था अजब ज़हूर हुआ,
कुल जंगल नूर-ओ-नूर हुआ
जुल्मत का पर्दा दूर हुआ,
जब कदम टिकाया चरनी में।
न महल था आलीशान मिला,
न रहने को ही मकान मिला।
बिस्तर का न आराम मिला,
आ घास बिछाया चरनी में।
पूर्व में अज़ब नज़ारा था,
हुआ रौशन एक सितारा था,
कुल आलम में आशकारा था,
अब शाफी आया चरनी में।
हमें अपना प्यार दिखाने को,
और बिगड़ी बात बनाने को,
इसीयां के ज़ख्म मिटाने को,
वह मरहम लाया चरनी में।
ऐ खादम शाद हो,
खुशियाँ मना और हर एक को यह ख़बर सुना,
फिदिए के लिए फरज़न्द-ए-खुदा,
मरियम से जाया चरनी में।