Rooh Meri Khush Hoti Sirf Tere Hazoor


1. रूह मेरी खुश होती सिर्फ तेरे हुजूर 

मुसीबत में तू ही है आस। 

तू दिन में तसल्ली और रात में सरूर, 

तू मेरी उम्मीद और मीरास।


2. तू भेड़ों को लेकर कहाँ जाता चौपान? 

है कहाँ वह खुश चरागाह?

तो मौत की इस वादी मे मैं क्यों हैरान, 

या इस जंगल में फिरूं तन्हा?


3. मैं क्यों तुझ से भटकूँ आवारा और दूर, 

और जंगल में करूँ फरियाद? 

इन आँसू और रंज और तकलीफ पर ज़रूर 

सब दुश्मन तो होवेंगे शाद।


4. निगाह जब वह करता, सब फरिश्ते गान, 

क्या खुशी से होते खुरसन्द, 

वह बोलता और गूंजता ज़मीन ओ-ज़मान्, 

और करता खुदावन्द की हम्द ।


5. मैं सुनूँगा तेरी सब बात ऐ चौपान, 

आवाज़ तेरी प्यार से माअमूर। 

तू मुझे बचा ले और हो निगाहबान, 

कि तू ही है तेरा सरूर।