Wakat Mubarik Dua Ka
1. वक्त मुबारक दुआ का, होती फिकरें जब दूर,
और हम आते मुन्जी मसीह के हुजूर।
गर हम रक्खें सब ईमान, वह नित रहेगा पास,
इतमिनान क्या ही खूब है, गर है मुन्जी पर आस ।
क्या ही खुशी ख़ास पाते बाप के पास
इतमिनान क्या ही खूब है, गर है मुन्जी पर आस।
2. वक्त मुबारक दुआ का, जब है मुन्जी करीब,
अपने लोगों की सुनता, साथ रहमत अजीब ।
डालें फिकरें अपनी सब उसके कदमों के पास,
इतमिनान क्या ही खूब है, गर है मुन्जी पर आस।
3. वक्त मुबारक दुआ का, जब हों दुःख इम्तिहान,
और हम मांगते मसीह से दिली इत्मिनान ।
अपनी उलफत-इ-अजीब से वह करता ख़लास,
इत्मिनान क्या ही खूब है, गर है मुन्जी पर आस।
4. वक्त मुबारक दुआ का, गर हम रक्खें ईमान,
कि वह बख़्शेगा हम को आराम के बयान,
क्या ही, खुशी पाते हैं, फक्त उस ही के पास,
इतम्निान क्या ही खूब है, गर है मुन्जी पर आस।