Mubarak Naubat Dua Ki
1. मुबारक नौबत दुआ की, जब छोड़ के फिकर दुनियाबी,
मैं अपने बाप के पाक हुजूर उस सबसे मांगू जो ज़रूर
दुआ से दुःख और ग़म की आन, तसल्ली पाती मेरी जान,
आज़माईश से मैं भागता हूँ, जब दुआ कर के जागता हूँ।
2. मुबारक नौबत दुआ की, जब अपने बाप के वादे भी,
मैं याद कर मानता उसका प्यार और बरकत का हूँ उम्मेदवार,
"तू मेरे मुँह का तालिब हो" यह सुन मैं ढूँढता उसी को,
और अपनी फिक्र सरासर दुआ में डालता उसी पार।
3. मुबारक नौबत दुआ की, उससे तसकीन ओ ताज़गी,
मैं पाऊँ जब तक बीच आसमान, मैं देखूं अबदी मकान।
तब खाक से उठके यीशु पास, गैर-फानी पाऊँगा मीरास
और सदा उसके रू-ब-रू, खुश हाल मैं हूंगा हू-ब-हू।