Kya Karu Tarif Teri Mujh Main Danai Nahi
1. क्या करूँ तारीफ तेरी मुझ में दानाई नहीं।
देखिये बेताब में कुछ ताब-ए-गोयाई नहीं ।।
2. तू खुदा है और इन्सां यह मेरा ईमान है।
इस अजब हिकमत की इन्सां में शनासाई नहीं।।
3. किस तरह तेरे कदम पर मैं कदम को रख सकूं।
जानता है तू कि बन्दे में तो दानाई नहीं।।
4. ऐ मेरे मसलूब मैं अपनी उठाता हूँ सलीब ।
बस यही इज्ज़त है मेरी इसमें रूसवाई नहीं ।।
5. ग़र करूँ जी जान से तुझको न मैं यीशु प्यार।
नाम का जो हूँ मगर मैं दिल से ईसाई नहीं।।
6. जान दी तू ने ज़बीह-अल्लाह सब के वास्ते
ऐसी खूबी और में हमने कभी पाई नहीं।