Prem Masih Ke Prem Barabar


प्रेम बना वह मुजस्सम, प्रेम से जान दी अपनी, 

प्रेम से दी है तसल्ली-प्रेम नगर में विराजा।


2. प्रेमी मसीह के प्रेम के लिये, दिल में जगह है नहीं, 

प्रेम के जो हैं बैरी, प्रेम से आंख चुरानी, 

कब लग दूर रहेगा, सुन्दर समय खोएगा।


3. होवे कैसा पापी ए भाई, प्रेम वह करता तुझे, 

पाप का भार तू लाकर, चरणों में शीश नवा दे, 

मुक्तिदाता है यीशु, सच्च है बताता यीशु।


4. गफलत में क्यों भूला फिरे है, मुक्ति से ऐसी बड़ी, 

आज है दिन मुक्ति का, अनुभव करले तू उसका 

देन खुदा की यही है, आ इसे तू अपना ले।


5. संकट में वह साथ भी देता, मित्र है सच्चा वही, 

दुःख में वही सम्भाले, जब कोई काम ना आवे, 

यीशु ही मुझको सुहावे, और कोई याद न आवे।


6. उसके प्रेम का हूँ मैं पुजारी, भक्ति है सच्ची यही, 

क्रूस का प्रेम लुभावे, दुनिया मुझे न भावे, 

पीछे मैं उसके चलूंगा बेड़ा पार लगावे ।