Rooh Meri Pyasi Hai Teri Khudawanda
रूह मेरी प्यासी है तेरी खुदावन्दा,
ऐ चश्मा ए हयात, तू मेरी प्यास बुझा
2. सलीब पर दिया है, अपने पाक बदन को,
ता मौत को करके नेस्त, हयात की रोटी को
3. और तेरा खून-ए-पाक, बीमार को सेहत दे,
सब दाग से करके साफ, कमज़ोर को ताकत दे
4. चट्टान के पानी से, मुझ प्यासे को पिला,
और रूह को ताज़ा कर, मुझ मुर्दे को जिला
5 दरख्त अंगूर का हो, और अपने से पिला,
अपनी शरीनी को. तू मुझे खूब चखा।
6. इस सूखे मुल्क में तू परवरिश मेरी कर,
गर रास्ता मुश्किल हो, दस्तगीरी मेरी कर
7. मेरे अज़ीज़ चौपान, सम्भाल मुझ आसी को,
आए चश्मा ऐ हयात तू दिल में जारी हो।