Teri Shareen Awaaj Main Sunta Hun Khuda


1. तेरी शीरीन आवाज़ मैं सुनता हूँ खुदा। 

बुलाती पास उस चश्मे के सलीब से जो बहा। 

आता हूँ मसीह, आता तेरे पास। 

धो के साफ कर चश्मे से जो बहता क्रूस से ख़ास।


2. आता कमज़ोर लाचार देख मेरी हालत को। 

नजासत से कर पाक ओ-साफ-कि एक भी दाग न हो।


3. मसीह तँ बख़शता है, कामिल प्यार ईमान। 

कामिल उम्मीद और चैन आराम, ज़मीन पर और आसमान ।


4. तहसीन कफ्फारे को, तहसीन मुफ्त फज़ल को। 

तहसीन मसीह की बख़्शिश को अब मिल के सब कहो।