Tere Darbar Main Yeshu 


1. तेरे दरबार में यीशु उम्मीदें ले के आया हूँ, 

दिल-ओ-जान पेश-ए-ख़िदमत हैं, यह नज़रें लेके आया हूँ।


2. मेरी उम्मीद की बस्ती है रौशन नाम से तेरे, 

करो आशा मेरी पूरी, ये आशा ले के आया हूँ।


3. शुमार अपना भी है लेकिन, गुनाहगारों की महफिल में, 

मिटा दोगे गुनाह मेरे, ये ईमान लेके आया हूँ।


4. न बन्दा जाएगा, ख़ाली तेरे दरबार से यीशु, 

सदा रौशन ज़मीरी की तमन्ना ले के आया हूँ।