Yeh Kaisa Jaljala Aaya
यह कैसा ज़लज़ला आया कयामत की निशानी है।
मेरा मुन्जी उठा है कबर से क्या शादमानी है।
2 खुली कबरें उठे मुर्दे कयामत पर कयामत है।
खुली है बरगुज़ीदो उससे राह-ऐ-आसमानी है।
3. फरिश्ते जब हुये नाज़िल निगहबाँ हो गये मुर्दे।
अजब उन पहरेदारों की भी कैसी पासबानी है।
4. जफर पाई मसीहा ने है कबर-ओ-मौत पर ऐसी।
कि टूटा ज़ोर दोनों का बड़ी यह कामरानी है।
5. लहद से तीसरे दिन उठके वह ज़िन्दा नज़र आया।
जिसे पहले मिला सबसे वह मरियम मग्दलानी है।
6. वह फरज़न्द-ए-खुदा साबित हुआ अपनी कयामत से।
नहीं तो मानते उसको यह उनकी बेईमानी है।
7. मसीहा में जो मरते हैं मसीही वह नहीं मरते।
हमारी मौत भी गोया हयात-ए-जाविदानी है।
8. मुझे ज़िन्दा किया कुदरत से तूने कादर-ए-मुतलक ।
गुनाहों पर हुई हासिल जो मुझको कामरानी है।